Exit Poll Survey Data
एग्जिट, ओपिनियन में क्या अंतर है और किस ट्रिक से पता चलता है किसकी सरकार बनेगी?
Exit Poll Survey Data: पांच राज्यों में चुनाव के बाद अब लोगों को उसके रिजल्ट और उससे पहले एग्जिट पोल का इंतजार है, ताकि अंदाजा लगाया जा सके कि इस बार किसकी सरकार बनने वाली है.
देश के पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में आज अंतिम चरण की वोटिंग हो रही है. गुरुवार को तेलंगाना में लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल हो रहा है. तेलंगाना में वोटिंग होने के साथ ही ना सिर्फ वोटिंग प्रोसेस खत्म हो जाएगा, बल्कि एग्जिट पोल के नतीजे भी आने शुरू हो जाएंगे. एग्जिट पोल के जरिए ये जानने की कोशिश होगी कि इस बार जनता का मूड क्या है और इस बार पांच राज्यों में क्या चुनाव परिणाम रह सकते हैं. आज शाम तेलंगाना की वोटिंग पूरी होने के बाद अलग अलग सर्वे कंपनियों के नतीजे सामने आने लगेंगे. हालांकि, कई बार एग्जिट पोल के आंकलन गलत भी हुए हैं.
एग्जिट पोल के अलावा ओपिनियम पोल के जरिए भी जनता के मूड को जानने की कोशिश की जाती है. ऐसे में सवाल है कि एग्जिट पोल और ओपिनियम पोल में क्या फर्क होता है और इन पोल में किस ट्रिक से ये पता किया जाता है कि इस बार जनता ने किसे वोट दिया है और किसकी सरकार बनने वाली है.
क्या होता है एग्जिट पोल?
एग्जिट पोल भी एक तरह का चुनावी सर्वे होता है. ये सर्वे उस वक्त किया जाता है, जब वोटर्स मतदान केंद्र से वोट देने के बाद बाहर आते हैं. दरअसल, जब मतदाता वोट देकर बाहर आते हैं तो उनसे सर्वे करवाने वाली एजेंसी के लोग ये पूछते हैं कि किसको वोट दिया है और उनके क्या मुद्दे है. सर्वे कंपनियों के कुछ सवाल होते हैं, जिनके जवाब के जरिए ये जानने की कोशिश की जाती है इस बार जनता का मूड क्या है और किस पार्टी को ज्यादा वोट मिल रहा है. ये सर्वे चुनाव होने के बाद का होता है, जिसमें बदलाव की संभावना नहीं होती है.
फिर क्या होता है ओपिनियन पोल?
ये चुनावी सर्वे वोटिंग से कुछ दिन पहले करवाया जाता है. इसमें अलग अलग जगहों पर जाकर सर्वे एजेंसी ये जानने की कोशिश करते हैं कि इस बार लोग किस पार्टी को ज्यादा वोट देने वाले हैं. उनके मुद्दे क्या हैं और इस बार का चुनाव किन मुद्दों पर लड़ा जा रहा है. इसमें चुनाव से पहले जनता का मूड जानकर ये बताने की कोशिश की जाती है कि इस बार किसकी सरकार बनने वाली है.
दरअसल, ये सर्वे किसी एक स्थान की राय के आधार पर निर्भर नहीं होते हैं. पहले तो सर्वे कंपनियां एक सैंपल साइज लेकर चलती है यानी अगर विधानसभा में 4 लाख वोट हैं तो वो 10 हजार, 20 हजार लोगों से इसके बारे में बात करती है, इस संख्या को ही सैंपल साइज कहा जाता है. इसके अलावा इस सैंपल साइज में हर वर्ग के लोग शामिल किए जाते हैं, जिसमें ग्रामीण, शहरी, व्यापारी, नौकरीपेशा, स्टूडेंट, बुजुर्ग, युवा, सरकारी नौकरीपेशा, प्राइवेट नौकर, 10 लाख कमाने वाले लोग, 5 लाख तक कमाने वाले लोग, 2 लाख तक कमाने लोग आदि शामिल है.
इससे समाज के हर वर्ग की राय जानने को मिलती है और उनकी राय को एक जगह करके डेटा को रीड किया जाता है और उसके बाद नतीजे आता है कि इस बार किसकी सरकार बनने वाली है. कई बार एग्जिट पोल सटीक बैठते हैं तो कई बार इनकी गलत तस्वीर सामने आ जाती है.